योगिनीयोँ (yogini) का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
64 योगिनियों के भारत में चार प्रमुख मंदिर है। दो ओडिशा में तथा दो मध्यप्रदेश में। मध्यप्रदेश में एक मुरैना जिले के थाना रिठौराकलां में ग्राम पंचायत मितावली में है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलवा एक दूसरा मंदिर खजूराहो में स्थित है। 875-900 ई. के आसपास बना यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों के पश्चिमी समूह में आता है।
आपने अष्ट या चौंसठ योगिनियों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग तो इनके बारे में जानते भी होंगे। दरअसल ये सभी आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पर्वती की सखियां हैं। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं।
प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं
- सुर-सुंदरी योगिनी,
- मनोहरा योगिनी,
- कनकवती योगिनी,
- कामेश्वरी योगिनी,
- रति सुंदरी योगिनी,
- पद्मिनी योगिनी,
- नतिनी योगिनी और
- मधुमती योगिनी।
चौंसठ योगिनियों के नाम
- बहुरूप
- तारा
- नर्मदा
- यमुना
- शांति
- वारुणी
- क्षेमंकरी
- ऐन्द्री
- वाराही
- रणवीरा
- वानर-मुखी
- वैष्णवी
- कालरात्रि
- वैद्यरूपा
- चर्चिका
- बेतली
- छिन्नमस्तिका
- वृषवाहन
- ज्वाला कामिनी
- घटवार
- कराकाली
- सरस्वती
- बिरूपा
- कौवेरी
- भलुका
- नारसिंही
- बिरजा
- विकतांना
- महालक्ष्मी
- कौमारी
- महामाया
- रति
- करकरी
- सर्पश्या
- यक्षिणी
- विनायकी
- विंध्यवासिनी
- वीर कुमारी
- माहेश्वरी
- अम्बिका
- कामिनी
- घटाबरी
- स्तुती
- काली
- उमा
- नारायणी
- समुद्र
- ब्रह्मिनी
- ज्वाला मुखी
- आग्नेयी
- अदिति
- चन्द्रकान्ति
- वायुवेगा
- चामुण्डा
- मूरति
- गंगा
- धूमावती
- गांधार
- सर्व मंगला
- अजिता
- सूर्यपुत्री
- वायु वीणा
- अघोर
- भद्रकाली।